Header Ads

येती इन भोपाली मूड

 


येति अगर भोपाली निकले तो? 🤣 जस्ट इमेजिन क्या समा बंधेगा

पत्रकार - येति आपको कैसा लग रहा है

येति - केसा लगना चिये? पैंतालीस डिग्री में वहाँ से भी पसीना चू रिया है जहाँ से नही चूंना चिये और तुम पूच रए कैसा लग रिया हैगा, बरफ के कने मस्त सुकूं से टिकाई हुई थी झां दिल्ली ले आए बिला वजह

पत्रकार - जी, तो येति जी आप बरफ में करते क्या हैं

येति - मच्छी पकड़ते हैंगे

पत्रकार - हैं जी??

येति - अरे खाँ क्या करेंगे बरफ में, गन्ने की रेहड़ी पर बरफ सप्लाई करते अब्बू हमाए, पुश्तैनी बिन्नीस हैगा हमारा..

पत्रकार - येति जी आप छुप के क्यों रहते हैं

येति - फिर केसे रहें, ऐसे दिखावे की जिन्नगी नी पसंद वालिद को हमाए, बिनक़ा मानना हैगा,बियेटे छुट्टन छुप के रओ नी तो दुनिया भेंकडी बड़ी हरामी हैगी,पकड़ के ले जांगे सर्किस में नचवाने

पत्रकार - अरे अरे येति जी,भाषा का ध्यान रखें, फैमिली चैनल है.. तो येति जी मैं ये जानना चाहुंगा कि ये आपकी जाति क्या है

येति - जात के बरफ मानुस हैंगे हम लोग

पत्रकार - आप के परिवार में और कौन कौन है

येति - वालिद हैंगे अम्मी हैंगी फुफ्फो हैंगी और दो छोटे भाई हैंगे

पत्रकार - आप कितना पढ़े लिखे हैं

येति - खाँ तुम्हारे अब्बा ने यूनिवर्सिटी खोली हिमालय में, पत्रकार के नाम पे चना जोर गरम की शक्ल के आदमी, पढ़ाई लिखाई कर लेते तो छुप के रेते? नौकरी नी पकड़ लेते कोई लपक के

पत्रकार - जी मुआफी, तो येति जी आप इतने विशालकाय हैं, आप के कपड़े वगैरा कहाँ से बन कर आते हैं

येति - ये पूरे शरीर पर खाट दिख रही क्या तुमको? ये बाल हैंगे ढाई ढाई फिट के सब दूर तलक बाडी में,इसके बाद कपड़े भी पेने??

पत्रकार - खाट??

येति - अभी फैमिली चैनल का आंटी रोना किया न तूने,तो समझ जा खुद ही

पत्रकार - ओह! अच्छा तो येति जी,अब जैसे कि आपने देखा दुनिया के सामने आप का रहस्य बाहर आ गया है तो अब आप ने आगे क्या सोचा है

येति - अरे खाँ इत्ते जज्बाती क्यों हो तुम लोग, जमीन कम पड़ रइ जो बरफ पे भी चढ़ गए? अच्छा खासा पैखाने जा रिया था ,केन लगे पैर के निशान हैंगे साब भोत बड़े, अबे तो क्या इसकेटिंग विसकेटिंग करते जाता क्या.. तुमको क्या करना पैर के निशान का, जबरन घुसे चले आए घर पे हमारे, जनानिया होती हैंगी घर पर, पैर के निशान नापने लगे .. जूते बनाओगे क्या पैरों के लिए.. सुकूं से रेन दो भाई मियां, हम नी लांच हो रए जमीन पर,तो तुम लोगो के अंदर इत्ता जुम्मन कीड़ा क्यों हैगा खोजबीन करने का

पत्रकार - येति जी बात तो आपकी सही है 😢 मुआफी चाहता हूँ मैं मानवों की तरफ से, वैसे येति जी युवाओं के लिए कोई संदेश देना चाहेंगे?

येति - टिकटोक पे इंसान बन जाओ रे, सब येति बने घूम रहे हैंगे उसपे, हम लोगों की बिरादरी की नाक तो कटाओ मति, पिंचर कर देंगे वरना एक एक के टायर पूरी फैमिली लाकर ,चेसिस में भर देंगे बरफ और बोनट पे लिख देंगे भारत माता की जय तो अब दिखना नी चिये मिझको ठुमके लगाते एक भी कसम बड़े तालाब की एक एक कि इश्टोरी पर फुल स्टॉप लगा दूँगा


Written by Aseem Tiwari


No comments