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निकाह वाले पंडित

 

जजमान सलाम वालेकुम

अरे पंडी जी कैसी बात कर रहे

ओह!! मुआफ़ी जजमान, अभी एक का निकाह करा के आ रहा था तो, उर्दू ज़बान पर चढ़ी हुई है

निकाह?? का बात कर रओ पंडी जी,निकाह भी करा लेत हो?

मंदी का दौर है भाई साहब, हम तो बच्चे भी पैदा करवा रहे आजकल, पार्ट टाइम दाई भी बन गए हैं, अच्छा टाइम पास हो गया हो तो श्राद्ध की पूजा शुरू करें

जी, मेरा लड़का बैठेगा पूजा में

अच्छा अच्छा, तो बेटे ये बताओ दादाजी को क्या पसंद था

माँ की गाली देना

हैं?? अबे क्या कह रिया है,खाने में क्या पसंद था बेटे, वे लोगन को खिलाते क्या थे ये नही पूछा

अच्छा, तो खाने में तो उनको खैनी पसंद थी

तो जाओ अम्मा से बोलो, खैनी की खीर बना दे

जी?

अबे ,जाकर खीर बनवा पूड़ी सब्जी बनवा, किस टाइप की औलादे आ रही हैं ऊपर से आजकल नालायक एकदम

पंडी जी , वो खाना बन रहा है, आप तो पूजा स्टार्ट करो

अच्छा, तो बेटे भोत टाइम पेले की बात है , कलावती का जो हज़्बेंड था वो निकला सपाटे से बिजनिस करने नाव लेकर और बा कि नाव जो रही वो गई डूब तो इधर कलावती ने कहा कि ये तो ब्लंडर हो गया , विष्णु सर .. पति तो चिये रहेगा अपने को वापस से, बंटी की फीस को भरी? तो विष्णु जी ने कहा तुम पूजा तो करा नी रहीं बहन कबसे टरका रहीं.. अबकी करवा लो तो बंटी के पापा को निकाल लेवें हम पानी में से,तो कलावती ने कहा हओ करा दे रहे पूजा अभिन के अभिन और फिर इधर पूजा सम्पन्न हुई उधर बंटी के पापा सामान समेत पानी के ऊपर तैरने लगे, कलावती ने टायर फेंका बंटी के पापा पर एम लगा कर और वो सकुशल बाहर आ गए पानी से, तो आगे सूत जी कहते हैं कि तू पूजा नही कराएगी तो तेरा मर जाए सांवरिया.. इति श्री रेवा खंडे.. लो जी पूजा सम्पन्न हुई फल फ्रूट बांध दो जजमान

अरे पंडीजी जो का था? श्राध्द की पूजा में सत्यनारायण कथा बांच दी वो भी अजीबोगरीब आधी अधूरी

तो और क्या बांच देंवे जजमान? डिपॉर्टेड सोल जीतेजी नही सुन रहा था कोई कथा ,मरबे के बाद उसको क्या मतलब तुमाई कथा से, तर माल खाने आते पितृ तो वो खिलाओ उनको, और हमको भी

ऐसे कैसे पंडी जी ये गलत है, कोई मंत्रों उच्चारण भी नही हुआ ,ऐसे कैसे पूजा हो गई भई, संस्कृत तो पटकी नही तुमने

अच्छा ऐसा मल्लब संस्कृत सुन्नी चाह रहे , तो सुनो

ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः ।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ।
स्वस्ति नस्ताक्षर्यो अरिष्टनेमिः ।
स्वस्ति नो ब्रुहस्पतिर्दधातु ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।।

बस इतना ही पंडी जी?

और क्या चारों वेद पढ़ दें 101 रुपिया और डालडे की पूड़ी सब्जी में? भाई साब बस पांच लाइन में चहुं ओर वर्ल्ड पीस पसर गई है शांति शांति शांति नही सुनी तीन दफे?

अच्छा, तो ये खाने का क्या करना अब

खाने का ऐसा है कि कौवे को खिलाओ एक पुड़िया तो,दूसरी बनाओ कुकुर की यानी कुत्ते की, तीसरी बनाओ गैया की

पंडी जी, चूना लगा के बढ़िया से घिस के बनाएं पुड़िया या ऐसे ही विमल के पाउच रख दें

अरे भूतनी के खाने की पुड़िया बनाने बोली है, खैनी की नही.. 😡

Written by Aseem Tiwari

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