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आधार कार्ड... एक मृत्यु कथा

 



रामलाल की आत्मा को निकालकर यमदूत चित्रगुप्त के सामने पेश करते हैं।

यमराज: चित्रगुप्त इस दुष्ट प्राणी के कर्मों का हिसाब किताब करो।
रामलाल: तुम जिन्दा लोगों के कर्मों का हिसाब किताब नही कर सकते बे।
चित्रगुप्त: अबे यहाँ पर मरने के बाद ही आदमी आता है।

रामलाल: ज्यादा होशियारी ना कर। पहले मुझको मरा हुआ साबित तो कर। जा पहले मेरा मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर आ।

यमराज: चित्रगुप्त ये क्या होता है?

चित्रगुप्त: प्रभु जिस प्रकार हम लोगों के कर्मों का हिसाब किताब रखते हैं उसी प्रकार धरती पर जन्म लेने वाले और मरने वाले लोगो का हिसाब किताब रखा जाता है। जो मर जाता है उसके परिजनों को उसकी ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगरपालिका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करती है।

यमराज: जाओ चित्रगुप्त धरती पर जा कर इसका मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर आओ।
चित्रगुप्त: जो आज्ञा प्रभु।
इसके बाद चित्रगुप्त पृथ्वीलोक के लिए प्रस्थान कर जाते हैं। कई दिन बाद चित्रगुप्त थका हारा वापिस लोटता है।

यमराज: चित्रगुप्त क्या तुम इसका मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर आये?
चित्रगुप्त: प्रभु ये तो सच में ही नहीं मरा। वहाँ पर आज भी सरकार कह रही है कि रामलाल जिन्दा है।
यमराज: पर हमारे कागज पत्रों में तो इसकी उम्र पूरी हो गयी है।
चित्रगुप्त: पर सरकार के कागज पत्रों में अभी भी जिन्दा है।

यमराज: पूरी बात बताओ चित्रगुप्त।

चित्रगुप्त: मैं इसके घर गया। सारा घर खंगाल लिया पर इसका मृत्यु प्रमाण पत्र नही मिला। उसके बाद मैं नगरपालिका कार्यालय गया कि वहां मिल जाये। उस दिन के सारे मृत्यु प्रमाण पत्र खंगाल लिए पर ना मिला। फिर मैंने अस्वीकृत आवेदन देखे। इसके आवेदन पत्र पर लिखा था कि इस आदमी को मृत घोषित नही किया जा सकता क्योंकि आवेदन के साथ आधार नही लगा हुआ है।

यमराज: क्यों बे तूने आधार कार्ड क्यों नही बनवाया?
रामलाल: बनवाता कैसे मजदूरी करते करते उंगलियों की रेखायें ही मिट गयी।
जब भी बनवाते जाता, ऊँगली स्कैन नही होने के कारण ऑपरेटर भगा देता था।

यमराज: मतलब तुम जीवित होने के साथ साथ आधारहीन भी हो।
रामलाल: हाँ जी।
यमराज: इसको यहाँ से धक्का दो। यहाँ जीवित लोगो का क्या काम।

यमदूतों ने रामलाल को वापिस धरती पर फेंक दिया। तब तक उसके परिवार वाले उसका अंतिम संस्कार कर चुके थे।

अब उसकी आत्मा बेचैन हो कर अपना आधार कार्ड बनवाने के लिये घूम रही है लेकिन उसके हाथों में रेखाएँ नही।

इसके लिए उसकी आत्मा महिलाओं के बालों से अपनी उंगलियों में निशान बनाने की कोशिश करती रहती है। उसकी उंगलियों पर रेखाएं तो नहीं बनती लेकिन उन महिलाओं के बाल टूटकर गिरते रहते हैं। जिसको चोटी काटना कहते हैं।

ये क्रिया तब तक चलती रहेगी जब तक रामलाल का मृत्यु प्रमाण पत्र बिना आधार कार्ड के नही बन जाता।

Written by Nadeem Hindustani

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