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अकबर और रामदेव



अरे टोडरमल कल हमने शहंशाह देखी अमिताबच्चन की

अमिताभ बच्चन हुजूर

हाँ वही अमिताभ की

फिर हुज़ूर कैसी लगी

मस्त लगी यार और सुनो हमारा अनाउंसमेंट जो ये करते हो न तुम लोग ..बदबू अदबू मुलाहिजा फुलाहिजा टाइप.. क्या करते हो

बाअदब बा मुलाहिजा ..जहाँपनाह

हाँ वही ..अबसे ये सब नहीं होगा,अब से बोला करो रिश्ते में तो सलीम के बाप लगते हैं नाम है शहंशाह..वो पधार रए हेंगे ..समझ गए

जी ज़िल्ले इलाही,तो दरबार की कारवाही शुरू की जाए अगर आपकी इज़ाजत हो तो

हाँ हाँ करो शुरू, क्या मसला है आज

हुज़ूर ये बाबा झंडू बामदेव हैं ये कुछ समस्या लेके आएं हैं

अकबर करने से होगा

क्या करने से होगा

कुछ नहीं वो तो हम हर बात पे ऐसा बोलते हैं माइंड मत करो,अकबर तुमसे एक काम है

अरे डिपर बात कैसे कर रहा है,तेरा बहनोई लग रहा हूँ क्या मैं,सूत दूंगा पकड़ के साले

अरे माफ़ी ज़बान फिसल गई,तो महाराज एक ठो काम था

बको

हम आपके राज्य में फटंजली के प्रोडक्ट बेचना चाह रहे थे,ये दन्त कांति, केश कांति, शहद, घी,अचार,पापड़ वगैरा

तो क्या करें, नाचें

नहीं नाचो मति..नाचते तो तुम वैसे भी अजीब टाइप हो एक हाथ ऊपर एक हाथ नीचे करके..मेरा मतलब था हमको सब्सिडी दओ फैक्ट्री लगाएँगे

घंटे की सब्सिडी,राज्य में पैसा कहाँ होता है हमारे..पिछले दिनों गैस की सब्सिडी भी छुड़वा दी हमने इमोशनल करके लोगो को

इमोशनल करके??

और का, जोधा की अम्मा को चूल्हे के सामने साइलेंसर की पाइप लेके बैठा दिया और इधर उसको कोड़े मारते उधर वो पाइप से चूल्हे मे हवा मारती ..इधर कोड़ा..उधर बुड्ढी की हवा..इधर कोड़ा..उधर हवा..बुड्ढी को विज्ञापन करते करते टी बी हो गई हमने बताया आप जनता लोग गैस की सब्सिडी छोड़ दो तो इसका टी बी का इलाज भी करा देंगे,और लगे हाथो इसको चूल्हे से भी मुक्ति मिलेगी..इस तरह सेंटी विज्ञापन से तो सब्सिडी खींच पाएं हैं थोड़ी बहुत..तुमको कहाँ से दें दें अब

गुस्ताख़ अकबर करने से होगा कर तो सही

ये न मानेगा टोडू, इस बाबे को बामशक्कत 2 साल की जेल दो और एक हज़ार कोड़े

अरे बस बस जहाँ पनाह बामशक्कत अपने से होती नहीं 'बा' से ही करा लओ जोधा की..और एक हज़ार कोड़े से तो अलोम विलोम हो जांगे दुनिया से हम..गलती हो गई ..जा रहे किसी और राज्य में दुकान लगा लेंगे..माफ़ी

सुनो झंडू बामदेव

जी महाराज

मरने से होगा..थोडा टाइम निकाल के मर जाओ

टोडू और कुछ है आज का पिरोग्राम या हम चलें

सर आज बजट घोषित करना था

तो कर दो

आपको करना था

तो लाओ हम कर देते हैं

बनाना पड़ेगा पहले

तो बनाओ

आप को बनाना पड़ेगा

तो लाओ हम बना देते हैं उसमें क्या है, कर ही बढ़ाना होता है ना..बढ़ा देते हैं.. आजतलक इससे ज्यादा बजट में और तो कुछ समझ आया नहीं अपने को.. अब्बू के अब्बू के अब्बू भी ऐसा ही बजट पेश करते थे,हम कुछ अनोखा थोड़ी करेंगे

हुज़ूर जनता के लिये घोषणाएं भी तो होती हैं बजट में

घोषणा का क्या है, बोल दो 5 करोड़ घर बनेंगे इस वर्ष,8 करोड़ तालाब और 2000 करोड़ एयरपोर्ट

सर जी ये आंकड़े ज्यादा नहीं हैं

आंकड़े ज्यादा ही होने चाहिये, इससे पब्लिक को लगता है सरकार काम कर रही है,पैसा है बहुत ,खुश रहती है

और जब बनेंगे नहीं ये सब,तो जनता को जवाब क्या देंगे ज़िल्ले इलाही

हमारे बाप दादाओं ने क्या जवाब दिया था??

कुछ नहीं

बस फिर हम क्यों देने लगे,ये भारत है टोडू यहाँ जनता को आश्वासन दिया जाता है,वादे किये जाते हैं और सुकून से चादर ओढ़ के सोया जाता है, सवाल अगर करती जनता और उनका जवाब भी निकलवा लेती हम से तो हम संपूर्ण जिले के इलाही नहीं होते, ये नव रतन मीड़िया पीआर मैनजेमेंट संभालने जो रखे हुए हैं इन्हें छोड़ दिया जाता है हर बकर के बाद हमारी, ताकि ये तारीफों के पुल बाँधे, झांकी खींचे हमारी और जनता को बेवकूफ बनाएं..सो जस्ट चिल ब्रो.. एन्जॉय राजशाही ;)


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