सियासी मुशायरा 4
(तो लालू जी को सारे अंडे, टमाटर खत्म कराते देख अपने साहेब की खुशी का ठिकाना न रहा।)
मोदी: अंडे टमाटर कांग्रेस की तरह खत्म हो
चुके हैं तो हम आयें अब 😜
संचालक: अरे आलीजाह, अभी तो 'डियर' स्मृति जी...
मोदी: उनके अल्फाज भी हमारे मुंह से निकल
कर धन्य हो जायेंगे। संसद के राजपाल यादव, तुम सोच भी
नहीं सकते कि मंच और माईक देख कर जब्त करना कितना मुश्किल है हमारे लिये... पेट
में गुड़गुड़ होने लगी है 😨
संचालक: जी समझ क्यों नहीं सकते बाबा झोले
वाले... पूरा देश ही आपकी इस अवस्था को समझता है ☺
मोदी: तो बुलाते क्यों नहीं... पता तो है
कि शायरी से मेरा बचपन से नाता है और मैं बचपन से शायर बनना चाहता था 😆
संचालक: जी-जी... तो जनाबे हाजरीन, अब आपके सामने पेश हैं शायर-ए-हिंद-- सेल्फ डिक्लेयर्ड... श्री नरेन्द्र
दास ब्राहमोस जी।
मोदी: ब्राहमोस 😱
संचालक: आपका तखल्लुस है... फेंकने के
लिये इससे उम्दा प्रतीक भला और कहां मिलेगा 😁
(आसपास पड़े सारे अंडे टमाटर साहेब ने फेंक
मारे, पर होशियार चंद भाग कर श्रोताओं के बीच जा बैठा।)
संचालक: मुझे बाद में मार लीजियेगा, पहले फेंक लीजिये। कहीं पेट की गुड़गुड़ाहट गैस में तब्दील हो गयी तो अंबानी
साब को यहीं से सप्लाई मिल जायेगी ☺
मोदी: हाँ तो मित्रोंऽऽऽऽ
संचालक: अर्रर्रर्रर्र 😨, यह रैली
नहीं है साहेब...
मोदी: अच्छा-अच्छा, स्लिपिंग फाल्ट है 😆, कृपया डिलीट मारें। हाँ
तो भाइयों बहनों, पेश है एक हरी ताजी शायरी...
संचालक: आप शायरी सुनाइये, क्वालिटी हम लोग डिसाइड कर लेंगे 😏
मोदी: लगता है तेरी भी निंदा करनी पड़ेगी, छोटे रीचार्ज 😠... खैर आप नारियल के जूस
में डूबी पहली शायरी मुलाहिजा फरमाइये...
कौन है वह, जिसकी अदा
पे हम दीवाने हुए
कौन है वह, जिसकी अदा
पे हम दीवाने हुए
(इतने में पीछे से आवाज आ गयी...
"जसोदा"। साहेब ने पलट के घूरा तो
सारे पीछे सरक गये और छोटे नवाब आगे बैठे रह गये कांपलान लिये। साहेब ने एक माईक
ही निकाल के खींच मारा, लेकिन निशानेबाज पक्के नहीं थे तो
ईरानी जी क्लीन बोल्ड हो गयीं।)
संचालक: यह लीजिये, एक बैटमैन बिना बैटिंग का मौका पाये ही लुल्ल हो गया। अंपायर स्ट्रेचर पर
ले जायें प्लीज। सरकार खेला चालू रहे 😜
मोदी: कौन है वह जिसकी अदा पे हम दीवाने
हुए
यह तो हमें भी नहीं पता चल पाया मित्रों
हमने अपने जासूस लगाये भी उस के पीछे
और दुश्मनों ने नाम दिया है स्नूपगेट का 😝😜
(तभी श्रोताओं की कतार से जावेद साब बिफर
पड़े।)
जावेद: क्या है यह क्या ये यह 😏, मलब कुछ
भी... यह क़ता है, रुबाई है, नज्म है,
गजल है...क्या है 😣
मोदी: जावेद साब, थूक के छींटे यहां तक आ रहे हैं। अबे संचालक, जब
पहले ही यह तय हो गया था कि जहरीली उर्दू प्रयोग नहीं होगी तो फिर यह क्या 😠
जावेद: जहरीली 😱
संचालक: जावेद साब, गुस्सा इतनी जोर से न थूकिये कि फकीर के झोले में जा गिरे। ऐसी उर्दू जो
साहेब को नर्वस कर दे, उसे जहरीली करार दिया गया है
शास्त्रों में 😙। बहने
दीजिये साहब के अरमानों को।
जावेद: अच्छा बताइये, आपकी शायरी में रदीब कहां है 😡
मोदी: अदीब की बीवी के साथ लोधी गार्डेन
गया है 😁
जावेद: अच्छा यही बता दीजिये कि इसमें
काफिया कहां है 😣
मोदी: जाकिया के साथ कोर्ट में इंसाफ की
जंग लड़ रहा है 😆
संचालक: जावेद साब, शबाना के वास्ते चुप हो जाइये, वर्ना बोलने में तो
साहेब का कोई सानी नहीं... सवेरा कर देंगे।
जावेद: अरे मगर सबने कम से कम रूल तो फालो
किये शायरी के और मोदी जी तो...
मोदी: हम रूल नहीं फालो करते, रूल हमें फालो करते हैं जावेद साब... अब अगर आपने एक शब्द भी बोला तो कसम
है मुझे मेरे गरीब दलित भाइयों की, मैं चार साल की अपनी पूरी
उपलब्धियां गिनवाऊंगा। फिर चाहे आपके कानों से खून क्यों न निकल आये 😡
(धमकी इतनी बड़ी थी कि सारा हाल सूखे पत्ते की
तरह कांप गया और जावेब साब भी दहशत में आकर सीधे फैल ही गये।)
मोदी: शुक्र है मेरी उपलब्धियों का 😁, तो
मुलाहिजा फरमाइये मेरे छुपे हुए टैलेंट का...
देश को सेलरी अर्पण, संपत्ति भी चल अचल दूंगा
मैं तो फकीर हूं, एक दिन झोला उठा के चल दूंगा 😝
मत दो इल्जाम मुझे कोलम्बस होने का
मैं तो शैदायी हूं दुनिया के कोने कोने का
😍
प्यार दो, इज्जत दो,
सहारा दो, और एक छत दो
मुसलमानों, मेरी
मुस्लिम बहनों को तीन तलाक मत दो☺
ओ जालिमों, क्या
बिगाड़ा है इन मासूमों ने थारो
मुझे मार लो, मेरे दलित भाइयों को मत मारो🙄
हमारा कुछ उखाड़ ले वह दम पाकिस्तान में
कहां
जो मजा नवाज की बिरयानी में वह हिंदुस्तान
में कहां 😜
वह सरहदी घुसपैठ, वह सैनिकों की लाशें, सब भूल गये
जब नवासी की शादी में नवाज, तेरी बाहों में झूल गये😛
एक दिन हम होली दिवाली सब एकसाथ मनायेंगे
देख लेना कांग्रेसियों, हम हिंदु राष्ट्र बनायेंगे😚😘
(एसी भयानक शायरी पर सारे श्रोतागण झूम कर
वहीं लोट गये। पूरे आर्यवर्त में हवायें चलने लगीं... पेड़ नृत्य करने लगे और आकाश
में मुशायरा सुनने एकत्र हुए देवतागण भी पुष्प वर्षा करने लगे।)
(समाप्त)
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