छोले 4
होली के दिन खिल खिल जाते हैं.. रंगों से रंग मिल जाते हैं..
आज होली महोत्सव है बसंती.. एक्सेप्ट माई
कलर पिलीच।
ओके बीरू.. तुम भी क्या याद रखोगे। आज से
बैगपाईपर वाले तीन यार में एक तुम एक हम और एक..
खुद बैगपाईपर.. अब वहां थ्रीसम थोड़े न
खेलेंगे 😁
भागो.. भागो.. डाकू आ गये.. भागो..
शांत गदाधारी.. शांत.. एस्क्यूच मी। तनिक
इंघे आ जाइये.. थोड़ा थोड़ा आगे बढ़ आइये.. आज हम डाका डालने नहीं आये। आपके छोले
नहीं लुटेंगे।
कहना क्या चाहते हो गब्बर?
मैं खुद आया नहीं हूं.. मुझे मां गंगा ने
बुलाया है।
लेकिन गंगा मौसी को मरे तो साल भर हो
गया..
अबे चुप.. मित्रों.. जैसा कि आप सब जानते
हैं कि डकैती के धंधे में चार्म नहीं बचा। नेतागीरी ने सारा आकर्षण चुरा लिया है
तो आपके अपने भाई, आपके गब्बर ने विधायकी का चुनाव लड़ने का
फैसला किया है। आपको तो पता है कि मैं बचपन से नेता बनना चाहता था और रामगढ़ से
मेरा बचपन का नाता है.. यह जो टंकी देख रहे हो, बचपन में मैं
इसमें मगरमच्छ पाला करता था और अगर जीत गया तो आपको भी इसमें मछलीपालन का पूरा
मौका मिलेगा।
यार भिया.. क्या कहानी की वाट लगा रहे हो
यार.. तुम्हें तो लूटपाट करने आना था न, ताकि थोड़ी
फाईट शाईट हो सके।
हमने वह आइडिया ड्राप कर दिया है वीरू।
लेकिन गब्बर, तुम ठहरे पचास हजार के इनामी बदमाश.. तुम चुनाव कैसे लड़ सकते हो?
जय.. टीएन शेषन जब आकर चुनाव सुधार करेगा, तब तक हम चुनाव जीत कर, मंत्री बन कर, अपने ऊपर लगे सारे इल्जामों की क्लीन चिट ले चुके होंगे।
गब्बर.. हम तुम्हें जीतने नहीं देंगे।
कयसे ठाकुर.. इन गंवारों में इतनी हिम्मत
कहां जो हमको वोट देने से मना कर सकें और फिर हम इनको जीतने के बाद एक एक खाकी
चड्डी भी तो देंगे। तो रामगढ़ वासियों.. वोट फार?
गब्बर... गब्बर.. गब्बर
हा हा हा.. देख लो ठाकुर। और ऐ छमिया.. तू
वोट देगी न हमको तो तुमको तीन तलाक से छुटकारा दिलायेगा यह गब्बर।
तीन तलाक.. यू के बसंती ने निकाह कब किया 😳
बस अंटी.. तुम नहीं जानती इस खोंचड़ को, ही इज आलरेडी मैरीड और हिंदू मैरिज एक्ट के हिसाब से यह तुमसे शादी नहीं
कर सकता। जब खुद दिलावर खान बन कर तुम्हें आयशा खान बना के निकाह करेगा न.. तो तीन
तलाक की तलवार तुमपे हमेशा लटकती रहेगी।
अयसा क्या.. मेरा वोट अब तुमको जायेगा
गब्बर।
साबास छमिया.. और ई ब्लाइंड मौलवी को देख
लो। इत्ती बड़ी मस्जिद बना दी रमेश सिप्पी ने, अजान होती
है और यह नबीना हंगर अकेल्लय टप्पो टप्पो करता चल पड़ता है.. एक ठो दूसरा मुसलमान न
दिखाये गांव में.. बताओ भला। ए के हंगर साहब.. हमको जिताओ, तुम
को दो ठो नमाजी देंगे।
आई वोट फार यू गब्बर।
देखा.. देखा ठाकुर। अब भी वक्त है।
तुम्हारे हाथ हमने अपने कमोड में लगवा रखे हैं जो हमको शौच देते हैं, वोट हमको दे दो तो हाथ वापस मिल जायेंगे वर्ना पूरा रामगढ़ उनसे आबदस्त
लेगा।
छि 😏😏
गब्बर भाई.. हम दोनों के लिये कोई ऑफर
नहीं है क्या 😳
भग बोड़ी के.. जब तुम लोगों का यहां वोट ही
नहीं तो ऑफर काहे की बे.. चलो साथियों।
टक बट टक बक टक बक
**
बसंती को डाकू उठा ले गये..
क्या.. चल जय, बसंती को बचाना पड़ेगा।
हाँ चलो.. वहां आईटम नंबर भी तो होना है।
टक बक टक बक टक बक
आओ.. आओ.. जय वीरू..
अरे ठाकुर साहब आप.. लेकिन स्क्रिप्ट के
हिसाब से तो गब्बर को उठाना था न 😨
गब्बर अब वो गब्बर नहीं रहा। वह स्क्रिप्ट
से खेल रहा है।
तो मतलब आपय उठवा लिये उसकी
जगह.. और यह आदमी।
यह अब हमारे आदमी हैं।
गब्बर ने जब इनके हाथ में बंदूक थमाई थी तो वादा किया था कि मंदिर वहीं बनायेंगे..
लेकिन मुसलमानों के वोट के चक्कर में अब वह अपना वादा भूल चुका है।
अरे लेकिन यह आपकी तरफ कैसे
आ गये 😱
लूट के छोले और भीख में
मिली दाल सब्जी खा खा कर यह पागल हो चुके थे.. मैंने इन्हें मुरादाबादी बिरयानी
खिलाई है।
ओह.. ठाकुर साहब। छोड़िये न
हिंसा का रास्ता.. क्या रखा है इसमें?
तो क्या चाहते हो, नमक आंदोलन करूँ.. दांडी मार्च निकालूं।
अच्छा सोचिये न.. रोज
खिलाना पिलाना, शौच कराना, ठकुराईन का फर्ज निभाना.. कितना मुश्किल काम है, करते
करते रामलाल आधा ठाकुर बन चुका है। अगर गब्बर ने उसे भगा दिया तो आपका क्या होगा?
यह तो मैंने सोचा ही नहीं 😵.. लेकिन मेरे हाथ अपवित्र कर चुका है वह।
अरे कुछ नहीं ठाकुर साहब, आपके हाथों को भाजपा ज्वाइन करवा देंगे..
पाप धुल कर पवित्र करने में गंगा से अच्छा रिकार्ड है भाजपा का।
पर मेरा सम्मान.. 😨
उसका चूरन बना के हम बेच
देंगे, आप फिक्र मत करिये। आपको कनविंस करने के
ऐवज में शायद हमको भी कुछ बोटी शोटी मिल जाये गब्बर से।
अच्छा तो फिर.. इस बस अंटी
का क्या करना है।
आईटम तो होगा ही होगा.. हम
लोग दारू और चखना साथ ले के आये हैं।
वीरू.. जय..
जस्ट शटअप बेबी.. बस शुरू
हो जाओ.. ठाकुर साहब पैरों से तबला बजायेंगे और हम साथ में नोट मुंह में दबा के
ठुमके लगायेंगे।
मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं
थी वीरू 😏
शटअप बसंती.. अभी तुम आयशा
खान थोड़े बनी हो। अरे देवरों के सामने थोड़ा एंजाय कर लोगी तो कोई शिर्क कुफ्र थोड़े
न हो जायेगा अभी.. चलो शुरू हो जाओ..
जब तक है जां जाने जहां मै नाचूंगी... 😢😢
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