छोले 3
कूद जाऊँगा फांद जाऊँगा.. गाँव वालों मैं सुसाईड कर लूंगा..
का हो गया इसे.. काहे ससुरा बौरा के टंकी
पे चढ़ गवा।
अरे ठाकुर साहब.. इसकी अंदरूनी पीड़ा का
पता करो, इसका पार्टनर उधर औंधा पड़ा है।
जय.. यह वीरू क्यों रायता फैला रहा है।
अरे ठाकुर साहब.. कुछ नहीं बस बौरा गया है, क्या है कि 1974 चल रहा है.. साला अभी शहर में तो
म्यूनिपल्टी की पाईप लाईन पड़ी नहीं और तुम लोग यहां पहाड़ी गाँव में यह टंकी लगवाये
पड़े हो। एक ठो नलका नहीं दिखा गाँव में हमको.. यह टंकी क्या मोदी जी के भाषण देने
के लिये बनवाई है।
आई एम नाट रिस्पांसिबल फार दैट जय..
डिरैक्टर जिम्मेदार है।
मतलब बीड़ू कल से यही सब सोच रहा था कि
हवेली में तुम्हारी वह बौनी बहू जब तब लालटेन जलाती हमको लाईन देती रहती है.. गाँव
वाले चिराग से गुजारा करते हैं, लाईट है नहीं कहीं गांव
में। यह बताओ कि टंकी में पानी क्या बाल्टियों में भर भर के चढ़ाते हो?
अरे यार.. यह रायता सलीम जावेद ने फैलाया
है, मुझ पर बिल मत फाड़ो।
कल से बस वही सोचते सोचते वीरू बौरा गया
है.. तुम बताओ ठाकुर टेढ़े टेढ़े क्यों चल रहे?
क्या बताऊं यार.. यह जो आधा ठाकुर रामलाल
है न कमीना, आज ही मिर्च का अचार बनाना था इसे.. पूरे
तीन दिन बाद तो बीड़ी का पूरा बंडल खींच कर प्रेशर बनाया था और रामलाल ने मिर्चे
वाले हाथ से.. अभी तक पजामे में आग लगी हुई है।
मैं आपका दर्द समझ सकता हूं पूरे ठाकुर।
इसे कैसे उतारें.. मर मरा गया तो एक यूनिट
वेस्ट हो जायेगा।
व्हाट्सएप कर देते हैं कि इस टंकी से पानी
का कोई रिश्ता नहीं। यह बस गोबर के कंडे पाथ कर सुखाने और स्टोर करने के लिये है..
नीचे गुबरैले उठा ले जाते हैं गाँव वालों की पूंजी।
गुड आइडिया।
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प्रणामअलैकुम मौसी।
वालैकुम प्रणाम जय बेटा.. बसंती के रिश्ते
के लिये बकैती करने आये हो।
आप तो मौसी.. बड़ी वो हैं। केंट आरओ बेच
बेच के बसंती ने काफी रकम पीट ली होगी, अब उसे
रखने के लिये किसी मर्द की जेब चैये कि नई चैये।
चैये तो बेटा.. कोई जेब है क्या नजर में।
मैट्रीमोनियल में दिये तो थे इश्तिहार.. कोई लौंडा फंसा ही नहीं अब तक।
फंसेगा कैसे.. झेलेगा कौन आपकी सगी भांजी
को.. एक ही कैंडीडेट है, चाहो तो देख लो। सस्ते में लग जायेगा अपना
वीरू.. डांस के नाम पर क्या लंगड़ी खींचता है 👌👌
करता क्या है वैसे वह.. वह जुए शराब कोठे
मुजरे वाली बकैती मत करना बस।
अरे न मौसी.. कान से मैल निकालता है एकदम
परफेक्ट.. बस दो रुपया पर कान। यहां ठाकुर साब का काम निपटा और हम शहर कट लिये..
वहां बस वीरू और गहक के कान।
हमाए कान से भी निकाल देगा क्या.. कुछ
परफार्मेंस नहीं दे रहे ठीक ठाक।
बिलकुल.. और आपकी भांजी के तो रोज कान का
मैल निकाला करेगा।
फिर तो डन।
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यह इतना सन्नाटा क्यों है भाई।
झिंगालाला हो झिंगालाला.. अब ठीक है
ब्लाईंड मैन। सन्नाटा दूर हो गया।
यह इतना अंधेरा क्यों है भाई।
अरे यह हाफिज सईद वाली टोपी ऊपर चढ़ाओ
यार.. आंख पे गिराये हुए हो.. खामखाह ओवरएक्टिंग कर रहे हो।
अहमद अपने मामू के पास कबर खोदने का काम
करने गया था, जरूर गब्बर ने उसकी डेडबाडी भेजी होगी.. कहां
है.. कहां है मेरे बेटे की बाडी।
घंटा भेजा है.. खाली यह गधा भेजा है जिसपे
अहमद रवाना हुआ था। साथ में चिट्ठी भेजी है.. वह भी तुम्हारे लौंडे की ही लिखी
हुई।
क्या लिखा है बेटा बसंती.. रीड फार मी
पिलीच।
लिखा है गब्बर हमको किडनैप कर लिहिस..
हमको भी कबर नहीं खोदनी, इंजीनियरिंग की कोई भैल्यू है के नहीं..
गब्बर अब रामगढ़ विधानसभा का प्रत्याशी है। मैं उसके लिये कन्ने ठस भाषण लिखूंगा..
और गब्बर ने वादा किया है कि चुनाव तक मुझे रोज एक बोटी देगा और जीत गया तो दोनों
टाईम दो दो बोटी खिलायेगा।
ओह माई गाड.. चुनाव निशान क्या है गब्बर
का?
दगी हुई बंदूक।
ओके.. वोट फार गब्बर। जीतेगा भई जीतेगा, हमारा गब्बर जीतेगा।
😳😳😳
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