फ्रेश ब्लड सेंटर
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वेलकम वेलकम... आइये आइये साहब।
थैंक्यू गंगाराम, और बताओ, कैसा चल रहा तुम्हारा फ्रेश ब्लड सेंटर?
एकदम मस्त बाबू जी, पूरे जिल्ले में हमसे बढ़िया खून कोई नहीं पिलाता। हर किस्म की वैराइटी
रखते हैं... एकदम ग्राहक की डिमांड के अनुसार।
अच्छा... तो कुछ डेमो दो भई।
अभी लीजिये मालिक... यह देखिये मजदूरों का
खून, दिल्ली मुंबई जैसे महानगरों से आता है
साहब। यह देखिये, आदिवासियों का खून... एकदम मीठा है साहब,
खास छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा
से इम्पोर्ट करके मंगाते हैं साहब इसलिये थोड़ा महंगा है। और यह देखिये, सबसे सस्ता खून... दलितों का है साहब, हर स्टेट में
बेइफराद उपलब्ध है।
अच्छा... और यह हरा हरा जो दिख रहा है, यह भी खून है?
जी साहेब, यह सब
ब्रैंडेड खून है। यह मुल्लों का खून है, बड़ी मुश्किल से
मिलता है... एकाध ठो गाय वाय गिराते हैं कहीं, तब हासिल हो
पाता है।
और यह केसरिया ब्लड कहां से आता है।
यह तो संघियों भाजपाइयों का है... यह भी
केरल बंगाल वगैरह से इम्पोर्ट करना पड़ता है। प्योर है। और यह जो तीन रंग वाला खून
दिख रहा है यह कांग्रेसियों का है, मोदी जी के सौजन्य से
आजकल खूब उपलब्ध हो रहा है, वर्ना पहले थोड़ा मुश्किल से
मिलता था।
और यह गाढ़े रंग वाला...?
यह तो सैनिकों का है साहब, पाकिस्तान वाले भेजते हैं बार्डर से... यह भी पहले किल्लत से मिलता था,
अब तो इफराद है साहब।
और यह सफेद... यह भी खून है क्या?
जी... कश्मीरियों का है, घाटी से आता है। अब रहते भारत के साथ हैं और जिंदाबाद पाकिस्तान की करते
हैं तो खून पे भी असर आयेगा न। आप बताइये साहेब, आप क्या
पियेंगे।
अरे यार खून पीने के लिये ही तो हम पैदा
हुए हैं... तुम सजेस करो, हमारी पर्सनालिटी के हिसाब से क्या सूट
करेगा?
खून पर्सनालिटी के हिसाब से नहीं, पेशे के हिसाब से सूट करता है साहेब। पेशा बताइये अपना।
अरे गंगाराम पहचाने नहीं हमें... अरे फेमस
वाले न्यूज एंकर हम, सरकारी दामाद यार। सिक्योरिटी देखो हमारी।
ओह अच्छा-अच्छा, इसीलिए ससुरे वाई बना के खड़े हैं। एक मिनट... यह लीजिये, खालिस जेएनयू का खून, खास आपके लिये।
अरे वाह, मजा आ
गया... लाओ, लाओ... थोड़ा आजादी के नारे वारे लगा दो तो मजा आ
जाये गंगाराम।
अभी लीजिये... हमें चाहिये आजादी, हम लेके रहेंगे आजादी... आजादी इस भ्रष्ट मीडिया से, इस सड़ते सिस्टम से, इन गुलाम होती संवैधानिक
संस्थाओं से... इस चुनाव आयोग से, इस सीबीआई से... आजादी
आजादी।
अबे-अबे गंगाराम, यह क्या बकने लगा और यह हमें आजादी क्यों मिलती महसूस हो रही है... चक्कर
क्यों आ रहे हैं मुझे?
जहर दिया है न आपको... इसीलिये।
क्या... लेकिन क्यों?
पास ही में एक नेता जी हैं जिनको एक न्यूज
वाला उनसे जुड़ी खबरें न दिखाने के लिये ब्लैकमेल करता था, तो उन्होंने ही किसी जर्नलिस्ट के ब्लड की होम डीलीवरी का आर्डर दिया था,
आज पूरा हो जायेगा।
हे भगवान... मोदी जी बचाओ।
लो साहेब, मोदी जी
काहे बचाने लगे। नेता नेता का मामला है आपस में सुलट लेंगे।
अबे हरामखोर... कोई नेता के ब्लड का आर्डर
नहीं देता क्या...
है न साहेब, एक सीबीआई
के रिटायर्ड अफसर हैं, बहुत तोता बना के नचाया है नेताओं ने,
तो उनकी तरफ से आर्डर है। अब आपके ब्लड में जहर मिला के नेता जी को
निपटाऊंगा और इस तरह राजनीतिक खून का भी इंतजाम हो जायेगा।
बुहूहूहूहू
रोते काहे हो साहब... यह इंडिया है, यहां हर कोई कहीं न कहीं, किसी न किसी का खून पी रहा
है तो इतना खून आयेगा कहां से... जाहिर है कि यह खून हमको आपको ही देना पड़ेगा।
अब मुझे भी आजादी की जरूरत महसूस हो रही
है 😭😭
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