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जनरल बोगी

 


जनरल बोगी

अगर कहीं गंगा जमुना तहज़ीब देखनी है
तो देखिए पैसेंजर ट्रेन की जनरल बोगी में
इतना सट कर एक दूसरे के साथ बैठना प्यार मोहब्बत को
और ज्यादा बढ़ाता है , बस गले मिलना ही रह जाता है
लेकिन गले पड़ना अक्सर हो जाता है
अब्दुल को तेज भूख लग रही थी
लेकिन चाह कर भी खाना नहीं निकाल पा रहा था
एक तो खाना रखने की जगह नहीं एक सीट पर 8 बैठे थे
और ऊपर से अम्मीं ने खाने में क़ीमा आलू बांध दिया था
अब आढ़ करे तो कैसे
डब्बे में हर जाति धर्म के खूंखार बैठे थे ।


कभी किसी के मोबाइल पर गाना बजा
"सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा"

बराबर बैठे मेहंदी लगी दाढ़ी वाले मौलाना ने शान के साथ अपना हाथ दाढ़ी पर फेरते हुए कहा--

जियो अल्लामा इक़बाल क्या बोल लिखे हैं।।

सामने की सीट पर बैठे भगवा गमछा धारी ने आंखें तरेरीं
और आंखों के बीच का लम्बा तिलक सिकुड़ने लगा
अबे कौन अल्लामा इकबाल?

अरे भाई जिन्होंने यह लिखा है।

अबे यह गीत तो रामा सतपाल ने लिखा था।

हें,, अल्लामा इकबाल अब सतपाल हो गए?
अरे मियां इतिहास को क्यों झुठला रहे हो ।

देखो मुल्लाजी जो हमने कहा वही सही है,

जब वर्तमान हमारा है तो इतिहास भी हमारा होगा।

देखो आप इतिहास नहीं बदल सकते

अरे जब हमने सरकार बदल दी तो इतिहास क्या चीज है ।
अब्दुल की आंतें भूख के मारे सूरा ए क़ुल पढ़ रही थीं
फिर भी बात आगे ना बढ़े इसलिए बीच में बोल पड़ा-

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना भाई।
अबे ओए छोरे यह बातें आडवाणी की तरंह पुरानी हो चुकी हैं
अब नए भारत की हम नई कहानी लिखेंगे ।

सामने की सीट से नारंगी दाढ़ी से सटे हुए होंठ हिले,

"जीत ना सकोगे हमसे मोहब्बत की रवानी में
आग लग जाएगी तुम्हारे दिल ए खानाखराब में।

अब्दुल को फिर से ख़्याल आया अगर जल्दी नहीं खाया तो उसका खाना भी खराब हो जाएगा।

अच्छा मुल्लाजी यह उर्दू में मुसलमानी शेर सुनाते हो हमसे भी सुनो एक हिंदू शेर
"परंपरा के तवे पर संस्कार की रोटियां सेकते जाएंगे
अब कसम राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनाएंगे।

अब शेर भी हिंदू मुसलमान हो गए, अब्दुल बड़बड़ाया


देख भाई लौंडे चुपचाप शेर की दाद दे दे नहीं तो त्रिशूल ऐसी जगह सेट करेंगे कि पंचर बनाने के लिए उकड़ूं नहीं बैठ पाएगा।

देखिए भाई नफरतों में कुछ नहीं रखा जरा गौर से सुनिए ट्रेन भी चलते हुए कह रही है
हिंदू मुस्लिम भाई भाई , हिंदू मुस्लिम भाई-भाई

अबे पाकिस्तानी पैसेंजर, ट्रेन कह रही है
जय श्रीराम, जय श्रीराम, जय श्रीराम

सामने की सीट से पान की लाली लिए हुए होंठ फिर हिले
"लाहौल विला कूवत" अमां ट्रेन कह रही है
अल्लाह हू अकबर अल्लाह हू अकबर अल्लाह हू अकबर

अबे जय श्री राम कह रही है ।
अमां अल्लाह हू अकबर कह रही है

जय श्री राम
अल्लाह हू अकबर
जय श्रीराम
अल्लाह हू अकबर
तेरी @#&@#&$€℅π¶

अब्दुल का अब खाना ख़राब हो चुका था

और भूख मर चुकी थी।

Written by Nadeem Hindustani 

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