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सियासी मुशायरा 1

सियासी मुशायरा 1


(एक बार की बात है— संसद चल नहीं पा रही थी, गतिरोध अपने चरम पर था और ऐसे में कोई और रास्ता न निकलते देख, सांसदों के बीच समन्वय बनाने के लिये तय हुआ कि एक मुशायरा कर लिया जाये।

सब तैयार हो गये।

(हाल में गद्दे डला दिये गये... एक तरफ पढ़ने वाले नगीने बिठा दिये गये और सामने बाकी सांसद "श्रोता मोड" में बिठा दिये गये। दो माइक वाला बैठका पढ़ने वाले नमूनों के लिये सज गया और तय हुआ कि मुशायरों के सभी रूल फॉलो किये जायेंगे और हस्बे दस्तूर अंडे, टमाटर और जूतों का भी व्यापक प्रबंध कर लिया गया। बाकी इधर उधर मुशायरों में इस्तेमाल होने वाला सड़ा गला धूल खाया संचालक भी अरेंज करके रिफ्रेश कर लिया गया।)

संचालक: तो जनाब, ख्वातीनों हज़रात, जैसा कि आप सभी जानते हैं कि यहाँ सभी नमूने मुशायरा मुशायरा खेलने को इकट्ठे हुए हैं. तो एक भोंपू तो हस्बे दस्तूर मेरे कने ही रहेगा 😘 और बाकी के शायर-ए-हिन्द, अपने शब्दों से पूरे देश को उल्लू बनाने के महारथी इन भोंपुओं पर अपनी कला के जौहर दिखाएंगे और ये महान विभूतियाँ हैं मोदी जी, राहुल जी, सोनिया जी, मुलायम जी, मायावती जी, स्मृति जी, राजनाथ जी, नायडू जी और मेहमान कलाकार रहेंगे केजरीवाल और लालू जी ☺☺

(श्रोताओं ने टेबल थपथपाने के अंदाज़ में शोर किया।)

संचालक: परफेक्ट... तो पहला नमूना— ऊप्स, माफ़ी चाहूंगा 😁... मन के शब्द फिसल गये साले। तो पहले योद्धा के तौर पर आपके सामने आयेंगे वो, जिन्हें देख कर आपको अपना बचपन याद आ जायेगा जब आप बैंगन में आँख, नाक, मुंह बना लेते थे😝😝

(नायडू संचालक को घूरते 56 इंची बैक लिये माइक पर सरके।)

नायडू: तो हम पेश करता अपना जज़्बात... थोड़ा आप लोग अपना भावनओं पे काबू रखियेगा... अंडा, टमाटर हम कच्चा नहीं खाता।

("चप्पल-जूते खा लीजियेगा हुज़ूर" की आवाज़ पीछे से आयी। नायडू ने पलट के देखा तो सबने राजनाथ सिंह की तरफ ऊँगली उठा दी।)

राजनाथ: मैं नहीं— मैं नहीं नायडू साहब 😨, मैं इन सब की कड़ी निंदा करता हूँ। आप कढ़ी चावल पकाइये।

नायडू: क्या राजनाथ जी— यहाँ तो निंदा करनी छोड़िये। खैर... भाइयों और भाइयों की बहनों—

संचालक: आपकी नहीं हैं बैंगन शरीफ 😱

नायडू: शायरी सुनाऊँ या बिल ठन्डे बस्ते में डाल दूँ😠

संचालक: इरशाद— इरशाद—

नायडू: इरशाद कहाँ है... वो सुनेगा तो नहीं सुनाऊंगा😵

पीछे से मोदी: अबे घोण्डू😡... रायता मत फैला— सुना भी डाल।

नायडू: ठीक है— तो सुनिये...
मैं एक फिसलन भरी राह का राही हूँ
मैं एक फिसलन भरी राह का राही हूँ
मुझे गर्व है कि मैं संघ का सिपाही हूँ 😁

(कुछ "वाह-वाह" आगे पीछे से गूंजे तो कुछ अंडे टमाटर हवा में उछले— जिन्हें पूरी सफाई से मंच वालों ने कैच कर लिया।)

नायडू: आगे अर्ज़ किया है...
जब भी तन्हाई में अपनी जात पे गौर करता हूँ
जब भी तन्हाई में अपनी जात पे गौर करता हूँ
मैं आदमी हूँ और आदमी से प्यार करता हूँ😘😍

संचालक: हाउ रिअलिस्टिक😘झकास मामू। दिल का दर्द बयान कर दिया।

(इस बार "वाह-वाह" के साथ उछले अंडे बैंगन को चोटिल कर गये, पर संघ का सिपाही मंच पे डटा रहना चाहता था, लेकिन भला हो पीछे वालों का कि पीछे से टाँगे पकड़ कर खींच लीं और लुंगी खुलने का डर हावी हो गया।)

संचालक: तो एक विकेट गिरने के बाद अब आयेंगे ज़हरीली खांसी के धुरंधर अरविन्द केजरीवाल😁। इनकी जितनी तारीफ की जाये कम है— इन्हें ऐसे ही रायता किंग थोड़े कहा जाता है। पधारिये गुरु जी।

(पर स्वागत ही अंडे और टमाटरों से हुआ— कुछ कैच हुए तो कुछ फ़ैल गये।)

केजरीवाल: सब मिले हुए हैं जी😵... मैं तो कहता हूँ कि मुझे शेर पढ़ने से रोका जा रहा है— इसमें भी केंद्र की साज़िश है।

पीछे से राजनाथ: मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूँ 😨

(पीछे वालों ने राजनाथ सिंह को टिपिया लिया और भीड़ से किसी ने अंडा भी खींच मारा।)

संचालक: अरे हज़रत आलूबुखारा, ये शिकायत बाहर कर लीजियेगा— यहाँ शायरी फेंकिये।

केजरीवाल: जी जनाब... तो गौर कीजियेगा ए चुनाव आयोग—
हमें तो तुमने मारा है, मोदी जी में कहाँ दम था
हमें तो तुमने मारा है, मोदी जी में कहाँ दम था
कुछ तुम्हारी ईवीएम ने मारा, कुछ हमारा वोटर भी कम था 😎

("वाह-वाह" के साथ अंडे टमाटर की बौछार हुई— पूरी कुशलता से कैच किये गये। जो जूते आये, वो जमा कर लिये गये।)

संचालक: जब वोटर ही कम था तो शिकायत ईवीएम से क्यों?

केजरीवाल: शिकायत करना हमारा काम है जी। एक शायरी और बर्दाश्त कीजिये...
तुम यूज़ कर लो हमारे खिलाफ कपिल पंडे को
चला लो कितना भी हम पे एल जी के डंडे को
लेकिन जो रायता फैलाया हमने फ्राइडे को
वहीँ फैलाएंगे हम फिर एक बार सन्डे को😁😁

(इस बार कोई रिस्पॉन्स ही नहीं मिला, सबने बर्दाश्त ही कर लिया और बड़े बेआबरू हो के कूचे से बाबूजी खांसते हुए रुखसत हुए।)

क्रमशः
Written by Ashfaq Ahmad

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