मैच कमेंट्री 2
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रंजना: तो स्थिति तनावपूर्ण है, लेकिन नियंत्रण में है। पाकिस्तान ने काफी दौड़ लिया है और अब हमारे ब्वायज को अच्छा खेलना होगा।
लंबित: खेलना होगा... मने वह क्या वहां
जस्टिन बीबर का कंसर्ट सुनने गये हैं। खेलने गये हैं तो खेलेंगे ही।
रंजना: जी संबित, लेकिन रन काफी ज्यादा हैं और बहुत संभाल कर खेलना पड़ेगा।
भक्षी: बिगाड़ कर भी खेल सकते हैं। जब बचपन
में मैं कंचे खेलता था तो हारने की दशा में तीन तिगाड़ा, खेल बिगाड़ा बोल के गचा (कंचों का गोल घेरा) लूट लिया करता था और अपनी हार
टाल दिया करता था।
रंजना: लेकिन यहां दो ही हैं, यह नहीं चलेगा। खेलना तो पड़ेगा... विराट कोहली रूम बनाते हुए।
लंबित: देखिये, कर दी न चिरकुटई वाली बात। कांग्रेस के जमाने में रूम बनाते थे, अब तो हवेली बनानी चाहिये। कहते तो बने, आओ कभी
हवेली पे।
रंजना: भारत की स्थिति काफी क्रिटिकल
है... वेंटिलर की जरूरत लग रही है। दो सैनिक शहीद हो चुके हैं और रिक्वायर्ड रनरेट
बढ़ता जा रहा है। क्या स्ट्रेटेजी लगती है लंबित?
संबित: देखिये रंजना जी। वे जीएसटी के
गणित से पूरी तरह वाकिफ हैं, उन्हें पता है कि अगर वे तीन सौ से ऊपर रन
बनाते हैं तो चालीस पर्सेंट जीएसटी लगेगी, जबकि सौ रन पर
सिर्फ दस प्रतिशत ही है। तो जरूर उन्होंने गुणाभाग किया होगा कि कैसे टैक्स बचाया
जा सकता है।
भक्षी: वहां पिच पर सैनिक शहीद हो रहे हैं
और आपको यहां टैक्स की पड़ी है। यही हाल रहा तो हमारी नाव डूब जायेगी।
लंबित: ओह। तो मने हम टेम्स में बोटिंग कर
रहे थे... देखिये बख्शी जी, नाव कांग्रेस की डूबी है... हमारी तो
रिलायंस के पेट्रोल से चल रही है।
रंजना: वह देखिये सर... युवी और धवन पिच
पर खड़े हो कर कुछ रणनीति बना रहे हैं।
भक्षी: रणनीति... किस बात की? कि हारने के बाद वापसी में कौन अंडमान में उतरेगा और कौन लक्षद्वीप में।
मैं तो कहता हूँ कि इनको बंधक बना के श्रीहरिकोटा लाओ और इसरो के किसी लांचिंग
प्रोजेक्ट के साथ बांध कर अंतरिक्ष में उड़ा दो। मोदी जी के नाम एक उपलब्धि और जुड़
जायेगी कि ग्यारह भारतीय कोहिनूर फ्री ऑफ कास्ट स्पेस में स्थापित किये। सत्तर
सालों में यह नहीं हुआ।
लंबित: अरे भक्षी जी थोड़ा जोर से थूकिये।
छींटे सिर्फ मुझे भिगा रहे हैं, रंजना जी सूखी ही हैं,
लेकिन आपको यह बात पता होनी चाहिये कि इससे डकवर्थ एंड लुईस का नियम
नहीं लागू होगा।
रंजना: हाँ डकवर्थ एंड लुईस से कोई
चमत्कार की उम्मीद कर सकते हैं। बशर्ते कि वे एक बार मन की बात सुन लें।
लंबित: फिर तो वे फिर से खुदकशी कर लेंगे।
मेरे ख्याल से सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानी अगर मिल के लार्ड्स में सू सू कर दें तो
डकवर्थ और लुईस नाम के वामपंथियों की आत्मा बेचैन हो कर पिच पर तड़पेगी और इस तरह
हमारे ब्वायज को पाकिस्तान के कुशासन से मुक्ति मिल जायेगी।
रंजना: रनो की रफ्तार सुस्त है भक्षी जी।
कुछ कहेंगे इस पर।
भक्षी: नोटबंदी से अर्थव्यवस्था की रफ्तार
सुस्त पड़ गयी और आपको रनों की रफ्तार की फिक्र है। देखिये हमारे सैनिक इसी तरह पिच
पर शहीद होते रहे तो हमें नजर झुकानी होगी।
रंजना: तो उससे कौन सी घुसपैठ बंद हो
जायेगी। गेंद को लगातार सीमा से बाहर भेजना होगा हमें।
लंबित: देखिये बार बार अंदर बुला कर बाहर
भेजना गलत बात है, शास्त्रों में भी इसे गलत कहा गया है। गेंद
कुछ भी है, मगर स्त्रीलिंग है और स्त्री का अपमान नहीं सहेगा
हिंदुस्तान। हमें लगातार गेंद को उसके स्त्रीलिंग होने के चलते सम्मान देना होगा
तभी हमें राहते रूह मिलेगी... पीने के लिये। एट पीएम।
रंजना: लंबित जी, आप नेशनल चैनल पर शराब का विज्ञापन कर रहे हैं।
लंबित: अरे नहीं, टाईम बता रहा हूँ। आठ बजे हैं न... उफ यह माल्या जी न, दिख जाते हैं कहीं न कहीं और जीभ लपलपा जाती है।
भक्षी: मैं कहता हूँ, यह मैच वैच छोड़ो। शहीदों का बदला लेने के लिये बल्लेबाजों से एकाध गेंदबाज
का सर ही फुड़वा दो। मेरे बहते थूक लार को कुछ तसल्ली तो मिले।
रंजना: लगता है अब कुछ नहीं हो सकता...
देखते हैं क्या होता है।
लंबित: पाकिस्तान तेरे टुकड़े होंगे...
भक्षी: इंशाअल्लाह इंशाअल्लाह।
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