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हक्ले आजम 2

हकले आज़म 2


यह वह बुत है शहंशाह
, जिसके लिये संगतराश का दावा है कि जिसे देख कर फेसबुकिया अपनी कलम तोड़ दे, मन की बात सुनने वाला रेडियो तोड़ दे और रवीश अपना इस्तिफा छोड़ दे..

आइला.. यह तो बहुत खूबसूरत है। सुब्हानअल्लाह.. अरे मम-मगर.. यह तो जज-जिंदा इंसान है..

आदाब जिल्लेइलाही.. मैं वह कनीज हूँ जिसे आपको अनारकली का टाईटल देना है, इससे पहले कि लोग पहनने वाली फ्राक को अनारकली बोल दें।

ओह.. अअ-अनारकली, तुम कितनी हह-हाट हो 😍, काश तुम्हारे मूंछ और दद-दाढ़ी होते।

मैं साहिबे आलम की चूके ले ले कर की गयी बकैती का मफहूम नहीं समझी 😳

ओह, कक-कैसे समझायें तुम्हें हम अन्नू.. कि फफ-फील नहीं आता हमें बिना दद-दाढ़ी मूंछ के।

दुर्जन.. यह क्या माजरा है?

अब क्या बताऊं जहांपनाह.. बात तो शर्मिंदगी की है। शहजादे का टेस्ट बदल चुका है.. शहजादे के कदम हसीनों के रेशमी आंचल पर फिसलते हुए कब शाखा की तरफ बढ़ गये, हमें पता ही न चला।

उफ.. यह कैसे कैसे शौक पाल लिये हैं हमारे वली अहद ने 😣, क्या होगा इस मुगलिया सल्तनत का?

मुगलिया सल्तनत की ईंट से ईंट बज जायेगी। अब्बा.. हमको यह वाली दिलाय दो.. लेकिन इसके दाढ़ी मूंछ भी चाहिये हमको।

उफ मेरे ख्वाजा.. यह कैसा चरसी, ठरकी, लौंडेबाज मुजस्समा अता किया तूने वली अहद के नाम पर।

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आपने अकेले में मुझे क्यों पकड़ा है और यह इतना अंधेरा क्यों है साहिबे आलम।

अअ-अंधेरा इसलिये है कि अभी गाँव में बिजली पंहुची नहीं है और अकेले में इसलिये पकड़ा है कि तुम्हारे यह नकली दाढ़ी मूंछ लगा कर ही हम अपने अंदर के आशिक को जगा सकें।

उफ भाईजान..

भभ-भाईजान 😳, ऐसा मत कहो। दद-देखो, हम मम-मुहब्बत करने लगे हैं तुमसे.. हम तुम्हें शिक्षा मंत्रालय का प्रभार भी सौंप दद-देंगे। बस तुम रोज शेविंग करके दद-दाढ़ी मूंछ उगा लो।

मतलब जान लेंगे बच्ची की.. ले लीजिये। शहंशाहों के दरबार में हम कनीजों की रेटिंग इससे ज्यादा कहां 😣

देखो यह मम-मुगल लुटेरे हैं। लल-लूटने आये थे और यहीं कब्जा कर के बैठ गये हैं। मंदिर तोड़ तोड़ के लाल किला, जामा मस्जिद, ताजमहल सब बनवा लिये। इनको उखाड़ना होगा बब-बेबी और इसके लिये तुम नन-निमित्त बनोगी..बस दाढ़ी मूंछ उगा लो।

उफ मेरे खुदा।

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आओ दुर्जन.. तुम्हें हमने शहजादे पर नजर रखने के लिये कहा था, जैसे जी वालों की बगदादी पर रहती है।

वही काम कर रहा हूं आका.. हालात ठीक नहीं है। शहजादे ने शाखा जा जा कर और प्रोफेसर ओक की किताब पढ़ कर सारा सच जान लिया है और वह बागी हो गये हैं।

दुनिया भर के शहजादे बाहर जा कर वामपंथी हो जाते हैं और हमारा नल्ला शहजादा शौक़ीन हो गया।

जी आलमपनाह.. उन्होंने शाही लिबास तर्क कर दिया है और सफेद शर्ट और खाकी निक्कर धारण कर ली है। वह मुगलों की हुकूमत जड़ से उखाड़ फेकना चाहते हैं और इसलिये उस रास्ते पर चल पड़े हैं जहां आपको हर मुमकिन पिन चुभा सकें।

उफ.. यह सब सुनने से पहले हमने फिर से अपने कानों पर हेडफोन क्यों न चढ़ा लिया।

साहिबे आलम ने अनारकली की शेविंग करा करा कर दाढ़ी मूंछ उगा ली है और अब बाकायदा चरस की हैवी डोज के साथ अनारकली के इश्क में गर्क हो चुके हैं.. कहते हैं कि वह अनारकली को मलिकाये हिंदुस्तान बनायेंगे।

क्या इज्जत रह जायेगी हमारी.. यह सब सुनने से पहले रवीश ने इस्तिफा क्यों न दे दिया।

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सलीम.. यह हम क्या सुन रहे हैं। तुमने बाबर के वकार का अचार डाल दिया।

नाम मम-मत लीजिये उस तुर्क लल-लुटेरे का.. उसने राम मंदिर तोड़ के मस्जिद बनवाई थी। वह मस्जिद गुलामी की निशानी है.. उसे तत-तोड़ना होगा डैड।

गुस्ताख संघी.. तुम आखिर चाहते क्या हो?

तीन तलाक.. मम-मेरा मतलब है तीन मांग हैं मेरी। पहली मंदिर वहीं बब-बनायेंगे। दूसरी रवीश का इस्तिफा दिलवाओ और तीसरी हमाई अनारकली को मलिकाये हिंदुस्तान तस्लीम करो।

मंदिर तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बनेगा, रवीश जिद्दी है इस्तिफा देता नहीं और रही अनारकली, तो उसे चाहे शिक्षा मंत्रालय दे दो या सूचना प्रसारण मंत्रालय.. लेकिन वह एक दाढ़ी मूंछ वाली औरत हिंदुस्तान की मलिका नहीं बन सकती।

फिर तो जंग होगी.. और ट्विटर फेसबुक दोनों जगह होगी। आपने हमारा आईटी सेल देखा नहीं है। गालियां दे दे कर हम क्रांति लिख देंगे।

तो ठीक है.. एक जंग अपनी औलाद से भी सही।
Written by Ashfaq Ahmad

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