ममी रिटर्न
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वह एक जर्जर बूढ़ा था, जो कायरो स्थित भारतीय दूतावास के गेट पर आकर मर गया था.. लेकिन एक नक्शा
उनके हवाले कर गया था।
तत्काल दूतावास के अधिकारियों की मीटिंग
हुई, जिसमें यह निष्कर्ष निकला कि किसी नक्शा
विशेषज्ञ से वह नक्शा पढ़वाया जाये। अधिकांश का मत था कि यह किसी खजाने का नक्शा
हो सकता है।
नक्शा विशेषज्ञ तलब किया गया, जिसने बताया कि यह पूर्वी रेगिस्तान के एक खास इलाके का नक्शा है। दूतावास
के अधिकारियों ने तय किया कि वे पूरी तैयारी के साथ वहां जायेंगे।
एक महीने की तैयारियों और जरूरी मशीनों व
विशेषज्ञों के बाद वे वहां पंहुचे, तो वहां यह देख कर चकरा
गये कि वहां रेत के सिवा और कुछ नहीं था.. लेकिन फिर भी हिम्मत न हारते हुए
उन्होंने तलाश जारी रखी। थोड़ी जांच और इधर उधर खुदाई करने से पता चला कि नीचे कोई
दफन पिरामिड है।
उन्होंने बाकायदा खुदाई शुरू कर दी और एक
महीने में ही रेत में दफन पड़ा एक पिरामिड खोद निकाला.. थोड़ी बहुत कोशिशों से
उन्हें अंदर घुसने का रास्ता भी मिल गया।
वे जब अपनी टीम और लाव लश्कर समेत अंदर
पंहुचे तो यह देख कर उनकी इंतेहा न रही कि अंदर लगभग पचास फुट ऊंची एक मूर्ति
मौजूद थी जिसका चेहरा वर्तमान भारतीय प्रधानमंत्री से मिलता जुलता था।
वहां मूर्ति के सामने चबूतरे पर इकलौता
ताबूत रखा था, जिसे खोला गया तो भीतर एक पांच हजार साल
पुरानी ममी मौजूद थी.. जिसके आसपास कई पत्थर मौजूद थे जिन पर प्राचीन इजिप्शन में
एक कहानी लिखी हुई थी।
और ताबूत के ऊपर लिखा हुआ था सम्राट
मोदिओन फरोबा.. साथ ही जो तारीख लिखी हुई थी, वह तीन
हजार ईसा पूर्व की थी।
भाषा विशेषज्ञ तो साथ था ही.. उसने सभी
पत्थरों को क्रम से रखा और उस पर लिखी कहानी पढ़ते हुए सबके सामने रखी जो यूँ थी..
मोदिओन फरोबा तीन हजार ईसा पूर्व का एक
बहादुर फराओ था, जिसका साम्राज्य काले सागर तक फैला हुआ
था.. उसकी सेना में आदमी मालिश करते थे और घोड़े गधे ऊंट खच्चर सब खुद ही लड़ लेते
थे।
उसकी पौने तीन पत्नियां थीं.. एक उसकी
उम्र की थी, साठ साल की जो अब पेंशन भोगी थी, दूसरी तीस की थी जो रोज उसे टिंडे पका के खिलाती थी और तीसरी अभी चौदह साल
की थी, जिससे टिंडे खाने की मोदिओन अभी प्रतीक्षा कर रहा था,
इसलिये वह पौना यूनिट में काउंट होती थी।
मोदिओन कट्टर टनाटनी था जो अपने बाजुओं
में नारियल दबा कर तोड़ देता था.. फिर टूटा हुआ बाजू जुड़ने में काफी टाईम खोटी होता
था, लेकिन मोदिओन की बहादुरी और बुद्धिमता का
कोई सानी नहीं था।
वह बचपन में नदी में मछली पकड़ने जाता था
और मछली न मिले तो मगरमच्छ पकड़ लाता था.. घोड़े हाथी तो उसके मूली के पराठे खा कर
गैस छोड़ने में ही तिनकों की तरह उड़ जाते थे।
मोदिओन को रोस्टेड शेर पसंद थे, जिन्हें वह पूर्व में स्थित जम्बूद्वीप के गिर से पकड़ लाता था और एक लंबे
से बांस में फंसा कर सूरज की आंच में रोस्ट करके खाता था।
उसके दुश्मनों की इतनी औकात नहीं थी कि वे
उसकी मौजूदगी में उसके राज्य में एक भी लेटनाईट पार्टी कर लें.. लेकिन उसका खास
प्रतिद्वंद्वी मेसोपोटामियाई सम्राट थलाइवर अलग ही जिगरे का मालिक था।
थलाइवर तो चली हुई गोली को दौड़ कर पकड़ के
वापस ले आता था.. उड़ती हुई चिड़िया को हवा से पकड़ कर उसकी जगह खुद ही उड़ने लगता था।
एक बार थलाइवर की पड़ोसन ने ऑफर किया था कि
अगर वह चांद पर बैठ कर हुक्का पी कर दिखा दे तो वह उसके साथ कुंभ के मेले में नागा
बाबा के दर्शन के लिये जायेगी।
और थलाइवर ने अपने दुश्मनों की इतनी लाशें
गिराईं कि उन्हें एक दूसरे पर रख कर वह चांद तक जा पंहुचा, हुक्के के पेट में समंदर भरा और चिमनी में ज्वालामुखी के लावे को भर कर
उसने जो कश लगाये तो पड़ोसन और पड़ोसन की भाभी दोनों लट्टू हो गयीं।
मोदिओन संसार में सिर्फ थलाइवर को अपने
मुकाबले का मानता था.. लेकिन उन्होंने समझौता कर रखा था कि वह एक दूसरे की मौजूदगी
में उनके राज्य पर हमला नहीं करेंगे।
मोदिओन को जम्बूद्वीप बहुत प्रिय था.. और
वह अक्सर हिमालय पर अध्यात्म की खोज में चला आता था।
ऐसे ही एक बार जब वह हिमालय पर येतियों को
अंताक्षरी में हरा हरा कर जीत के नये रिकार्ड बना रहा था तब पड़ोसन के उकसाने पर
थलाइवर ने मोदिओन के राज्य पर हमला कर दिया। और मोदिओन की बकरी को उठा ले गया।
जंग में भयानक खून खराबा हुआ था और सारे
ऊंट घोड़े खच्चर गधे मारे गये थे.. सारे आदमी मातमी गम में मुब्तिला हो गये कि वे
अब किसकी मालिश करेंगे।
मोदिओन को यह समाचार मिला तो वह अंदर तक
टूट गया।
वह अपनी पौने तीन रानियों के बगैर रह सकता
था लेकिन बकरी के बगैर जी पाना मुश्किल था। मारे गम के उसने बीड़ी पीना शुरू कर
दिया जिससे उसका लीवर चोक हो गया और उसे कब्ज ने आ घेरा।
वह सुबह बैतुल खला में घुसता था तो शाम को
बरामद होता था.. उसे अपने राज्य के हमालियों की कोई परवाह न रही थी और अपनी जीत पर
अट्टहास करता थलाईवर पड़ोसन के साथ रोज चांद पर जा कर सालसा करता था।
धीरे धीरे कब्ज ने मोदिओन की जान ले ली और
वह एक वादे के साथ इस दुनिया से चला गया और राज्य के मालिशियों ने उसकी ममी
सुरक्षित करते हुए, उसकी प्रतिमा के साथ उसे पिरामिड में दफन
कर दिया।
क्या था मोदिओन का वादा.. जानिये अगले भाग
में..
वह जम्बूद्वीप में पैदा होगा, जिसके दक्षिण में थलाइवर का राज होगा। वह वहां एक ऐसे प्रतापी राजा के तौर
पर उभरेगा जिसका यश और कीर्ति पूरे यूनिवर्स में फैलेंगे।
पूरा जम्बूद्वीप उसका दीवाना होगा और पीठ
पर कोड़े खा कर भी उसका ही नाम लेगा.. पड़ोस के चीन पाकिस्तान वाले अपने घर के
इलेक्शन में भी वोट उसे ही दे आयेंगे।
वर्ल्ड बैंक वाले उससे पूछ कर नीतियाँ
बनायेंगे और रेटिंग एजेंसीज उससे पूछ कर उसके देश की रेटिंग तय करेंगी।
ट्रम्प से ले कर पुतिन तक उसे व्हाट्सएप
पर चुटकुले सुना कर आनंदित करेंगे और चीन से ले कर योरोप तक की सरकारें उसी के
समर्थन से बनेंगी। यही नहीं.. पृथ्वी पर जब तब मुंह उठाये चले आने वाले अवतारों को
भी उससे आने की पर्मिशन लेनी पड़ेगी।
यहां तक कि वह आकाश में बैठे देवी देवताओं
तक के आधार कार्ड बनवा के रहेगा और एक दिन पूरी दुनिया को एक ग्लोबल कालोनी बना के
रहेगा।
तब वह थलाइवर को फाईनल टक्कर देगा और उससे
अपनी बकरी वापस हासिल करके रहेगा।
उपरोक्त कहानी सच्ची है और सभी भक्तों से
निवेदन है कि इसे ग्यारह लोगों तक आगे जरूर पंहुचायें।
किन्नूर के अरविंदो ने इस कहानी को ग्यारह
लोगों तक पंहुचाया तो उसे यह शुभ सूचना मिली कि उसकी गाय ने अंडा दिया है, जबकि इम्फाल में रहने वाली नमितो ने इस कहानी को झूठ समझा और आगे नहीं
बढ़ाया तो अगले ही दिन कुछ आवारा बंदरों ने उसकी पाॅमेरियन स्वीटी का रेप कर दिया।
काकीनाडा के जमुवंत ने भी कहानी को झूठ
समझा तो उसके कंधे पे बैठे भतीजे ने निशाना लगा कर उसके कान में सुसू कर दिया..
वहीं हंडिया के भगनू ने कहानी और मोदी जी के प्रताप पर यकीन रखते हुए पूरी श्रद्धा
से इसे ग्यारह लोगों तक पंहुचाया और बदले में भगनू की बीवी की आवाज चली गयी.. हाऊ
लकी।
आप भी अगर अपनी भलाई चाहते हैं तो कहानी
को ग्यारह लोगों तक जरूर पंहुचायें.. जय श्री मोदी।
नमो नमो 😎
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